पुस्तक के विषय में
मध्य भारत के इतिहास में शहशाह अकबर का नाम एक प्रखर नक्षत्र की तरह जगमगाता दिखाता है। वह एक महान सेनापति कुखल प्रशासक और राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ समाज और धर्म सुधारक भी। अपनी अद्वितीय सूझबूझ से उसने न केवल मुगल साम्राज्य का विस्तार किया बल्कि ऐसे उदार तत्वों का भी प्रकासन में समावेश किया जिनके कारण मुगल साम्राज्य लगभग एक शताब्दी तक सुदृढ़ रहा और बाद में जिनकी अवहेलना करने पर उसका पतन हो गया आज से लगभग साढ़े चार सौ वर्ष पूर्व अकबर ने हिन्दु और मुसलमानों को एकता के सूत्र में बाधने का प्रयास किया और धार्मिक सहिष्णुता का आदर्श प्रस्तुत किया। धार्मिक भेद-भाव समाप्त करने की उसकी कोशिश उस युग के लिए बहुत बड़ी बात थी इस पुस्तक का उद्ददेश्य अकबर के ऐसे ही गुणों को सामने लाना है।
प्राक्कथन
प्रकाशन विभाग आधुनिक भारत के निर्माता, 'भारत के गौरव' और 'भारत के अमर चरित' ग्रंथमालाएं निकाल चुका है। अब आपके सामने भारतीय इतिहास के निर्माता 'ग्रंथमाला में मुगल' बादशाह का जीवन-चरित प्रस्तुत है।
इस पुस्तक में अकबर के व्यक्तित्व और कार्यो को रोचक ढग से प्रस्तुत करने की कोशिश की गई है, जिससे पाठकों को उनके कार्य के महत्व का ज्ञान हो और उनके समय के इतिहास की भी जानकारी हो।
इस छोटी सी जीवनी में विद्वान् लेखक राय आनन्द कृष्ण ने उसकी बहुमुखी प्रतिभा का दिग्दर्शन कराया है। अकबर एक महान् सेनापति, कुशल प्रशासक और राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ समाज और धर्म-सुधारक भी था। उसने न केवल मुगल साम्राज्य का विस्तार किया बल्कि अपनी अद्वितीय क्त-बूझ से प्रशासन मे उन उदार तत्वों का समावंश किया जिनके आधार पर साम्राज्य एक शताब्दी तक टिका रहा और जिनकी अवहेलना करने पर उसका पतन हुआ। आज से चार सौ वर्ष पूर्व अकबर ने हिन्दू और मुसलमानों को एकता के सूत्र में बाधने का प्रयास किया और धार्मिक सहिष्णुता का आदर्श प्रस्तुत किया। प्रबल धर्म-जिज्ञासा से प्रेरित होकर उसने अनेकों धर्मा का अध्ययन किया और धार्मिक भेदभाव नष्ट करने की कोशिश की जो उस युग के लिए बहुत बडी बात थी। उसके शासन का उद्देश्य प्रजा का हित था जिसके लिए उसने आजीवन प्रयत्न किया और इतिहास में अपना नाम अमर कर गया।
स्वतन्त्र राष्ट्र की सुरक्षा के लिए चरित्रनिर्माण का कार्य सब कामों से अधिक जरूरी है। हमारे बच्चे इन वीरों के चरित्र से प्रेरणा पाएंगे, हम ऐसी आशा करते है।
विषय-सूची |
||
1 |
अकबर का जन्म और बचपन |
1 |
2 |
राजपूतों से संबंध |
18 |
3 |
शासन-प्रबंध में सुधार |
39 |
4 |
दीन-ए-इलाही |
47 |
5 |
विद्रोहों का दमन |
62 |
6 |
दक्षिण विजय का प्रयत्न |
70 |
7 |
अंतिम दिन |
77 |
8 |
अपने पुत्र जहांगीर की नजर में |
88 |
पुस्तक के विषय में
मध्य भारत के इतिहास में शहशाह अकबर का नाम एक प्रखर नक्षत्र की तरह जगमगाता दिखाता है। वह एक महान सेनापति कुखल प्रशासक और राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ समाज और धर्म सुधारक भी। अपनी अद्वितीय सूझबूझ से उसने न केवल मुगल साम्राज्य का विस्तार किया बल्कि ऐसे उदार तत्वों का भी प्रकासन में समावेश किया जिनके कारण मुगल साम्राज्य लगभग एक शताब्दी तक सुदृढ़ रहा और बाद में जिनकी अवहेलना करने पर उसका पतन हो गया आज से लगभग साढ़े चार सौ वर्ष पूर्व अकबर ने हिन्दु और मुसलमानों को एकता के सूत्र में बाधने का प्रयास किया और धार्मिक सहिष्णुता का आदर्श प्रस्तुत किया। धार्मिक भेद-भाव समाप्त करने की उसकी कोशिश उस युग के लिए बहुत बड़ी बात थी इस पुस्तक का उद्ददेश्य अकबर के ऐसे ही गुणों को सामने लाना है।
प्राक्कथन
प्रकाशन विभाग आधुनिक भारत के निर्माता, 'भारत के गौरव' और 'भारत के अमर चरित' ग्रंथमालाएं निकाल चुका है। अब आपके सामने भारतीय इतिहास के निर्माता 'ग्रंथमाला में मुगल' बादशाह का जीवन-चरित प्रस्तुत है।
इस पुस्तक में अकबर के व्यक्तित्व और कार्यो को रोचक ढग से प्रस्तुत करने की कोशिश की गई है, जिससे पाठकों को उनके कार्य के महत्व का ज्ञान हो और उनके समय के इतिहास की भी जानकारी हो।
इस छोटी सी जीवनी में विद्वान् लेखक राय आनन्द कृष्ण ने उसकी बहुमुखी प्रतिभा का दिग्दर्शन कराया है। अकबर एक महान् सेनापति, कुशल प्रशासक और राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ समाज और धर्म-सुधारक भी था। उसने न केवल मुगल साम्राज्य का विस्तार किया बल्कि अपनी अद्वितीय क्त-बूझ से प्रशासन मे उन उदार तत्वों का समावंश किया जिनके आधार पर साम्राज्य एक शताब्दी तक टिका रहा और जिनकी अवहेलना करने पर उसका पतन हुआ। आज से चार सौ वर्ष पूर्व अकबर ने हिन्दू और मुसलमानों को एकता के सूत्र में बाधने का प्रयास किया और धार्मिक सहिष्णुता का आदर्श प्रस्तुत किया। प्रबल धर्म-जिज्ञासा से प्रेरित होकर उसने अनेकों धर्मा का अध्ययन किया और धार्मिक भेदभाव नष्ट करने की कोशिश की जो उस युग के लिए बहुत बडी बात थी। उसके शासन का उद्देश्य प्रजा का हित था जिसके लिए उसने आजीवन प्रयत्न किया और इतिहास में अपना नाम अमर कर गया।
स्वतन्त्र राष्ट्र की सुरक्षा के लिए चरित्रनिर्माण का कार्य सब कामों से अधिक जरूरी है। हमारे बच्चे इन वीरों के चरित्र से प्रेरणा पाएंगे, हम ऐसी आशा करते है।
विषय-सूची |
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1 |
अकबर का जन्म और बचपन |
1 |
2 |
राजपूतों से संबंध |
18 |
3 |
शासन-प्रबंध में सुधार |
39 |
4 |
दीन-ए-इलाही |
47 |
5 |
विद्रोहों का दमन |
62 |
6 |
दक्षिण विजय का प्रयत्न |
70 |
7 |
अंतिम दिन |
77 |
8 |
अपने पुत्र जहांगीर की नजर में |
88 |