पुस्तक के विषय में
योग चिकित्सा-पद्धति की विशेषता यह है कि इसमें रोग के बाद पुन: स्वास्थ्य-लाभ के साथ ही जीवन को एक नई दिशा के रूप में आध्यात्मिक मोड़ भी मिलता है । व्यक्ति को आनन्दमय जीवन जीने के लिए अपनी जीवन-शैली में परिवर्तन कर एक नियमित कार्यक्रम अपनाना होता है। दमा और मधुमेंह के योग द्वारा उपचार के लिए स्वामी सत्यानन्द सरस्वती द्वारा प्रयोग सिद्ध योग पद्धति का विस्तृत विवेचन एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण हम इस पुस्तक में प्रस्तुत कर रहे हैं।
स्वामी सत्यानन्द सरस्वती
स्वामी सत्यानन्द सरस्वती का जन्म उत्तर प्रदेश के अल्मोड़ा ग्राम में 1923 में हुआ। 1943 में उन्हें ऋषिकेश में अपने गुरु स्वामी शिवानन्द के दर्शन हुए। 1947 में गुरु ने उन्हें परमहंस संन्याय में दीक्षित किया। 1956 में उन्होंने परिव्राजक संन्यासी के रूप में भ्रमण करने के लिए शिवानन्द आश्रम छोड़ दिया। तत्पश्चात् 1956 में ही उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय योग मित्र मण्डल एवं 1963 में बिहार योग विद्यालय की स्थापना की। अगले 20 वर्षों तक वे योग के अग्रणी प्रवक्ता के रूप में विश्व भ्रमण करते रहे। अस्सी से अधिक ग्रन्यों के प्रणेता स्वामीजी ने ग्राम्य-विकास की भावना से 1984 में दातव्य संस्था 'शिवानन्द मठ' की एवं योग पर वैज्ञानिक शोध की दृष्टि से योग शोध संस्थान की स्थापना की। 1988 में अपने मिशन से अवकाश ले, क्षेत्र संन्यास अपनाकर सार्वभौम दृष्टि से परमहंस संन्यासी का जीवन अपना लिया है।
विषय-सूची दमा और योग |
||
1 |
व्यक्तिगत अनुभव |
3 |
2 |
दमा के कुछ आधारभूत तथ्य |
10 |
3 |
श्वसन संस्थान |
14 |
4 |
प्रभावों से संघर्ष |
19 |
5 |
दमा के संभावित कारण |
23 |
6 |
सामान्य ओषधि उपचार |
29 |
7 |
भोजन और उपवास |
31 |
8 |
यौगिक उपचार |
38 |
9 |
अभ्यास कार्यक्रम |
48 |
10 |
अन्य उपचार |
52 |
11 |
स्वास्थ्य का राजमार्ग |
58 |
मधुमेंह रोग में योग प्रशिक्षण पाठ्यक्रम मधुमेंह |
||
12 |
मधुमेंह |
63 |
13 |
इन्सुलिन मात्रा-निर्धारण |
98 |
14 |
मधुमेंह और आहार |
72 |
15 |
योग द्वारा मधुमेंह की चिकित्सा |
75 |
16 |
दैनिक कार्यक्रम |
78 |
17 |
निम्न रक्त शर्करा |
86 |
अभ्यास |
||
18 |
शुद्धिकरण की क्रियाएँ |
93 |
19 |
सूर्य नमस्कार |
102 |
20 |
पवनमुक्तासन |
109 |
21 |
मुख्य आसन |
121 |
22 |
प्राणायाम |
137 |
23 |
बन्ध |
146 |
24 |
ध्यान |
150 |
दमा एवं मधुमेंह पर शोध |
||
25 |
एक परिचय |
167 |
26 |
एक निजि अनुभूति |
174 |
27 |
दमा एक समग्र दृष्टि |
181 |
28 |
दमा -एक समग्र उपचार विधि |
186 |
29 |
मधुमेंह पर शोध |
198 |
30 |
सफलता की कहानी |
207 |
31 |
योगोपचार शिविर |
210 |
32 |
निदान गृह परीक्षण |
22 |
33 |
योग की कार्यविधि |
229 |
34 |
श्वसनी दमा पर अनुसंधान |
235 |
35 |
कलकत्ता आश्रम में मधुमेंह शिविर |
240 |
36 |
योग की अद्भुत देन |
243 |
परिशिष्ट |
||
37 |
आन्तरिक अंगों के चित्र हेतु संकेत-पटल |
249 |
38 |
शरीर में अंतःस्रावी ग्रन्थियों की स्थिति |
250 |
39 |
चक्रों के चित्र |
251 |
40 |
भेषजीय शब्दावली |
252 |
41 |
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची |
259 |
42 |
वर्ण क्रमानुसार अभ्यास सूची |
261 |
पुस्तक के विषय में
योग चिकित्सा-पद्धति की विशेषता यह है कि इसमें रोग के बाद पुन: स्वास्थ्य-लाभ के साथ ही जीवन को एक नई दिशा के रूप में आध्यात्मिक मोड़ भी मिलता है । व्यक्ति को आनन्दमय जीवन जीने के लिए अपनी जीवन-शैली में परिवर्तन कर एक नियमित कार्यक्रम अपनाना होता है। दमा और मधुमेंह के योग द्वारा उपचार के लिए स्वामी सत्यानन्द सरस्वती द्वारा प्रयोग सिद्ध योग पद्धति का विस्तृत विवेचन एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण हम इस पुस्तक में प्रस्तुत कर रहे हैं।
स्वामी सत्यानन्द सरस्वती
स्वामी सत्यानन्द सरस्वती का जन्म उत्तर प्रदेश के अल्मोड़ा ग्राम में 1923 में हुआ। 1943 में उन्हें ऋषिकेश में अपने गुरु स्वामी शिवानन्द के दर्शन हुए। 1947 में गुरु ने उन्हें परमहंस संन्याय में दीक्षित किया। 1956 में उन्होंने परिव्राजक संन्यासी के रूप में भ्रमण करने के लिए शिवानन्द आश्रम छोड़ दिया। तत्पश्चात् 1956 में ही उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय योग मित्र मण्डल एवं 1963 में बिहार योग विद्यालय की स्थापना की। अगले 20 वर्षों तक वे योग के अग्रणी प्रवक्ता के रूप में विश्व भ्रमण करते रहे। अस्सी से अधिक ग्रन्यों के प्रणेता स्वामीजी ने ग्राम्य-विकास की भावना से 1984 में दातव्य संस्था 'शिवानन्द मठ' की एवं योग पर वैज्ञानिक शोध की दृष्टि से योग शोध संस्थान की स्थापना की। 1988 में अपने मिशन से अवकाश ले, क्षेत्र संन्यास अपनाकर सार्वभौम दृष्टि से परमहंस संन्यासी का जीवन अपना लिया है।
विषय-सूची दमा और योग |
||
1 |
व्यक्तिगत अनुभव |
3 |
2 |
दमा के कुछ आधारभूत तथ्य |
10 |
3 |
श्वसन संस्थान |
14 |
4 |
प्रभावों से संघर्ष |
19 |
5 |
दमा के संभावित कारण |
23 |
6 |
सामान्य ओषधि उपचार |
29 |
7 |
भोजन और उपवास |
31 |
8 |
यौगिक उपचार |
38 |
9 |
अभ्यास कार्यक्रम |
48 |
10 |
अन्य उपचार |
52 |
11 |
स्वास्थ्य का राजमार्ग |
58 |
मधुमेंह रोग में योग प्रशिक्षण पाठ्यक्रम मधुमेंह |
||
12 |
मधुमेंह |
63 |
13 |
इन्सुलिन मात्रा-निर्धारण |
98 |
14 |
मधुमेंह और आहार |
72 |
15 |
योग द्वारा मधुमेंह की चिकित्सा |
75 |
16 |
दैनिक कार्यक्रम |
78 |
17 |
निम्न रक्त शर्करा |
86 |
अभ्यास |
||
18 |
शुद्धिकरण की क्रियाएँ |
93 |
19 |
सूर्य नमस्कार |
102 |
20 |
पवनमुक्तासन |
109 |
21 |
मुख्य आसन |
121 |
22 |
प्राणायाम |
137 |
23 |
बन्ध |
146 |
24 |
ध्यान |
150 |
दमा एवं मधुमेंह पर शोध |
||
25 |
एक परिचय |
167 |
26 |
एक निजि अनुभूति |
174 |
27 |
दमा एक समग्र दृष्टि |
181 |
28 |
दमा -एक समग्र उपचार विधि |
186 |
29 |
मधुमेंह पर शोध |
198 |
30 |
सफलता की कहानी |
207 |
31 |
योगोपचार शिविर |
210 |
32 |
निदान गृह परीक्षण |
22 |
33 |
योग की कार्यविधि |
229 |
34 |
श्वसनी दमा पर अनुसंधान |
235 |
35 |
कलकत्ता आश्रम में मधुमेंह शिविर |
240 |
36 |
योग की अद्भुत देन |
243 |
परिशिष्ट |
||
37 |
आन्तरिक अंगों के चित्र हेतु संकेत-पटल |
249 |
38 |
शरीर में अंतःस्रावी ग्रन्थियों की स्थिति |
250 |
39 |
चक्रों के चित्र |
251 |
40 |
भेषजीय शब्दावली |
252 |
41 |
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची |
259 |
42 |
वर्ण क्रमानुसार अभ्यास सूची |
261 |