पुस्तक के विषय में
बंकिमचंद्र (सन् 1838-1894) के श्रेष्ठ निबंधों का यह संकलन उनकी रचनावली से चुनकर तैयार किया गया है । इन निबंधों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनमें डेढ़ सौ वर्ष पूर्व उठाए गए प्रश्न आज भी ज्वलंत दिख रहे हैं । स्त्री शिक्षा का अभाव, अपनी भाषा-संस्कृति के प्रति उपेक्षा भाव, धार्मिक पाखंड, अराजक रूढ़ियां आदि-सब मिलकर भारतीय समाज की आंतरिक शक्ति को जर्जर करते आए हैं और आज भी स्थिति वहीं की वहीं है ।...यह संकलन डेढ़ सौ वर्ष पुराने बंकिम साहित्य को वर्तमान परिवेश में भी अपेक्षाकृत ज्यादा समकालीन साबित करता है । बहरहाल, भारतीय पाठकों के लिए बंकिम किसी भी तरह अपरिचित नहीं हैं । इस पुस्तक का संकलन एवं संपादन अमित्रसूदन भट्टाचार्य ने किया है जो विश्वभारती विश्वविद्यालय में बंगला के विभागाध्यक्ष हैं और बंकिमचंद्र के साहित्य के अधिकारी विद्वान हैं ।
विषय-सूची |
||
1 |
भूमिका |
सात |
2 |
बंगदर्शन का घोषणा-पत्र |
1 |
3 |
भारत कलंक |
9 |
4 |
बंगदेश का कृषक |
23 |
5 |
भारतवर्ष की स्वाधीनता एवं पराधीनता |
76 |
6 |
एकाकी |
85 |
7 |
विद्यापति और जयदेव |
88 |
8 |
बंगालियों का बाहुबल |
93 |
9 |
प्रेम का अत्याचार |
101 |
10 |
विड़ाल |
.110 |
11 |
चंद्रलोक |
115 |
12 |
शकुंतला, मिरांडा एवं डेस्टिमोना |
120 |
13 |
द्रौपदी |
130 |
14 |
साम्या/स्त्री जाति |
136 |
15 |
लोकीशक्षा |
151 |
16 |
रामधन पोद |
155 |
17 |
मनुष्यत्व क्या है? |
161 |
18 |
धर्म एवं साहित्य |
171 |
19 |
बांग्ला के नव्य लेखकों के प्रति निवेदन |
176 |
20 |
बांग्ला साहित्य का सम्मान |
179 |
21 |
द्रौपदी (द्वितीय प्रस्ताव) |
185 |
22 |
कृष्ण-कथित धर्म-तत्व |
192 |
पुस्तक के विषय में
बंकिमचंद्र (सन् 1838-1894) के श्रेष्ठ निबंधों का यह संकलन उनकी रचनावली से चुनकर तैयार किया गया है । इन निबंधों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनमें डेढ़ सौ वर्ष पूर्व उठाए गए प्रश्न आज भी ज्वलंत दिख रहे हैं । स्त्री शिक्षा का अभाव, अपनी भाषा-संस्कृति के प्रति उपेक्षा भाव, धार्मिक पाखंड, अराजक रूढ़ियां आदि-सब मिलकर भारतीय समाज की आंतरिक शक्ति को जर्जर करते आए हैं और आज भी स्थिति वहीं की वहीं है ।...यह संकलन डेढ़ सौ वर्ष पुराने बंकिम साहित्य को वर्तमान परिवेश में भी अपेक्षाकृत ज्यादा समकालीन साबित करता है । बहरहाल, भारतीय पाठकों के लिए बंकिम किसी भी तरह अपरिचित नहीं हैं । इस पुस्तक का संकलन एवं संपादन अमित्रसूदन भट्टाचार्य ने किया है जो विश्वभारती विश्वविद्यालय में बंगला के विभागाध्यक्ष हैं और बंकिमचंद्र के साहित्य के अधिकारी विद्वान हैं ।
विषय-सूची |
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1 |
भूमिका |
सात |
2 |
बंगदर्शन का घोषणा-पत्र |
1 |
3 |
भारत कलंक |
9 |
4 |
बंगदेश का कृषक |
23 |
5 |
भारतवर्ष की स्वाधीनता एवं पराधीनता |
76 |
6 |
एकाकी |
85 |
7 |
विद्यापति और जयदेव |
88 |
8 |
बंगालियों का बाहुबल |
93 |
9 |
प्रेम का अत्याचार |
101 |
10 |
विड़ाल |
.110 |
11 |
चंद्रलोक |
115 |
12 |
शकुंतला, मिरांडा एवं डेस्टिमोना |
120 |
13 |
द्रौपदी |
130 |
14 |
साम्या/स्त्री जाति |
136 |
15 |
लोकीशक्षा |
151 |
16 |
रामधन पोद |
155 |
17 |
मनुष्यत्व क्या है? |
161 |
18 |
धर्म एवं साहित्य |
171 |
19 |
बांग्ला के नव्य लेखकों के प्रति निवेदन |
176 |
20 |
बांग्ला साहित्य का सम्मान |
179 |
21 |
द्रौपदी (द्वितीय प्रस्ताव) |
185 |
22 |
कृष्ण-कथित धर्म-तत्व |
192 |