पुस्तक परिचय
गिरजा कुमार 1985 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के लाईब्रेरियन के पद से सेवानिवृत हुए। उनकी दुनिया हमेशा ही किताबों की दुनिया रही। "महात्मा गांधी और उनकी महितला मित्र" पूर्णत व्यापक शोध पर आधारित और गांधीजी महिला मित्रों तथा अन्य प्रमुख किरदारों के कथनोपकथनों पर आधारित है। इस लिहाज से यह पुस्तक जीवनी के भीतर जीवनी है।
यह पुस्तक 25006 में अंग्रेज़ी में प्रकाशित हुई थी। अनेक पत्रपत्रिकाओं और शोध विशेषज्ञों ने गिरजा कुमार के इस व्यास को बखूबी सराहा।
गांधी जी 32 वर्ष की आयु में ब्रह्मचर्य के पालन का संकल्प लिया था। उनके कामसुख से खुद को वंचित रखने की कोशिशों को लेखक गिरजा कुमार ने इस पुस्तक में खंगालने का प्रयास किया है। गांधीजी के जीवन बहुत करीब आने वाली अनेक महिलाओं ने उनके ब्रह्मचर्य यज्ञ में अपनी आहुति दी थी। इनमें प्रमुख नाम इस प्रकार हैं। मनु गांधी, सुशीला गांधी, सुधीला नैयर,मीराबेन, राजकुमारी, अमृत कौर, प्रभावती कंचन, शाह और कविवर ,रवीन्द्रनाथ टैगोर की भांजी सरलादेवी चौधरानी। उनमें से कुछ विदेशी महिलाएं भी थीं, जैसे मिली ग्राहम पोलक सोंजा श्लेसिन एस्थफेरिंग नीला क्रैम कुक एवं मार्गेट स्पीगेल।
महात्मा गांधी ब्रह्मचर्य के प्रयोग में शामिल महिलाओं को इस प्रयोग के सभी घटनाक्रमों का रिकॉर्ड रखने को कहा था। वह चाहते थे कि महिलाओं के साथ उनके इस गुप्त प्रयोग के बारे में सारी दुनिया जाने। लेकिन अफसोस, ऐसा प्रतीत होता है कि ब्रह्मचर्य के प्रयोगों से संबंधित ज्यादातर दस्तावेजों को नष्ट किया जा चुका है। साथ ही इस प्रयोग पर रोशनी डालने में समर्थ कुछ मुख्यकिरदारों ने गंभीर चुप्पी साध ली। इसके बावजूद गांधीजी तथा उनके निकटस्थों के बीच हुए पत्रव्यवहार से अनेक बातें सामने आई हैं।
यह पुस्तक एक महान पुरुष की मनोजीवनी होने के साथसाथ उनके और महिलाओं के बीच के संबंधों का अध्ययन भी है।
प्रस्तावना
एल्यानोर मॉर्टोन ने सन् 1954 में एक पुस्तक लिखी थी वीमेन बिहाइंड महात्मा गाधी और उसके बाद से इस विषय में कोई पुस्तक नहीं लिखी गयी । तमाम महिलाओं की निकटता गांधीजी के जीवन में एक आकर्षक अध्याय की तरह है खासकर तब जब हम उनके जीवन का अध्ययन ब्रह्मचर्य के दर्शन के साथ करते हैं । यह कृति एक व्यक्ति के पीछे के व्यक्ति और आत्मकथा के भीतर की आत्मकथा की तरह है ।
एक दर्जन से अधिक महिलाए ऐसी थीं, जो एक या अलगअलग समय मे महात्मा गाधी से निकटता के साथ जुडी हुई थीं । कस्तुरबा से संबंधित आख्यान गांधीजी के जीवन के एक अलग अध्याय की तरह है । लेकिन इन महिलाओं मे गांधीजी ने अपनी माता पुतलीबाई और सर्वज्ञ अर्द्धांगिनी कस्तूरबा का प्रतिरूप देखा । उनमें से छह महिलाएं विदेशी मूल की थीं और एक्? अनिवासी भारतीय । मिली ग्राहम पोलक, निला क्रैम कूक और मीरा बहन जैसी कुछ महिलाएँ उस समय की महिलाओं में बुद्धिजीवी कही जा सकती थीं । वे महिलाए महात्मा गाधी के लिए बेटी बहनें और माताएं थीं । हालाकि सरलादेवी चौधरानी अपवाद की तरह थी । गांधीजी उन्हें अपनी आध्यात्मिक पत्नी कहा करते थे ।
ब्रह्मचर्य, गांधी और उनकी सहयोगी महिलाएं बहुत ही आकर्षक विषय है । लेखक ने इस विषय पर आठ वर्ष रवे अधिक तक शोध किया है और उसके बाद इसे पुस्तक के रूप मे कलमबद्ध किया है । नवजीवन ट्रस्ट के सहयोग एरे भारत सरकार के सूचना एव प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तक कॉलेक्टेड वर्क्स इस सम्पूर्ण काल के लिए उनकी बाइबिल की तरह है, जिसे व्यापक तौर पर इसमें उद्धृत किया गया है ।
गांधीजी के बारे में पढना कभी भी उबाऊ नहीं रहा । वह हमेशा से ही अपूर्वानुमेय अपरम्परागत नवप्रवर्तनशील, दयालु और निष्कपट रहे । चेहरे पर भ्रान्तिकारी मुस्कान मौजूद होने के बावजूद वह शरारती थे । अपने सम्पूर्ण जीवन काल मे उन्हे अपने विचारों का कडू। प्रतिरोध सहना पड़ा था । उनका प्रतिरोध करने वालो मे से ज्यादा उनके करीबी दरबारी ही थे । गांधीजी ने एक्? बार श्रीमती पोलक को कहा था कि उनका (श्रीमती पोलक का) जन्म उनके एवं उनरने जुडी महिला सहयोगिनो के अनुप्रयोग के लिए ही हुआ है । गांधीजी अपनी ही पीड़ा से आंतरिक शांति हासिल करते रहे थे ।
रोमा रौलां ने उन्हें दूसरे ईसा मसीह की संज्ञा दी थी । ठीक ईसा मसीह की तरह ही गाँधीजी की सहनशीलता भी पीडा. मौत और मृतोत्थान का प्रतीक बन गयी । यह पुस्तक गाँधीजी के नजरिये से स्त्रीत्व के तमाम पहलुओ को प्रदर्शित करती है । गांधीजी वैसे इक्कादुक्का लोगों में शुमार है, जिन्होंने खुद को स्वनिर्मित हिजड़ा कहकर सेक्स की विभाजन रेखा समाप्त करने का दुस्साहस किया था ।
गाँधीजी महिलाओं की संगत में हमेशा राहत महसूस करते थे । सभी महिला सहयोगिनी ने उन्हें समान महत्त्व दिया । ब्रह्मचर्य महात्मा गाँधीजी और उनकी महिला मित्र पांच दशक तक गांधीजी और उन महिलाओं के बीच संवाद का विश्वसनीय दस्तावेज है, जो भारतीय सौंदर्य परम्परा में वर्णित सम्पूर्ण रसों से सराबोर थीं ।
विषय सूची |
||
|
प्रस्तावना |
vii |
भाग 1 |
ब्रह्मचर्य सिद्धान्त और प्रयोग |
|
|
ब्रह्मचर्य का गुणगान |
3 |
|
भारतीय परम्परा में ब्रह्मचर्य |
11 |
|
व्यवहार में ब्रह्मचर्य |
31 |
भाग 2 |
साहस का पुंज |
|
|
बा |
49 |
|
बा, बापू और परिवार |
73 |
भाग 3 |
दक्षिण अफ्रीका विक्कंभ |
|
|
मिली और हेनरी पोलक |
93 |
|
डिक्टेटर सोंजा |
113 |
|
जेकी इकलौती दत्तक पुत्री |
131 |
भाग 4 |
प्रारंभिक वर्ष विदेशी सहयोगी |
|
|
एस्थर फेरिंग डेनिश मिशनरी |
151 |
|
प्रफुल्लित मीराबहन |
163 |
|
मुरझाती मीराबहन |
181 |
|
कुक और स्पीगल सिरफिरी जोड़ी |
197 |
भाग 5 |
प्रारंभिक वर्ष भारतीय संगीसाथी |
|
|
रूमानी सरला |
223 |
|
सरला देवी के सितारे गर्दिश में |
237 |
भाग 6 |
विवाहित ब्रह्मचर्य |
|
|
साध्वी प्रभावती |
253 |
|
कंचन दुविधा शाह |
269 |
भाग 7 |
सुशीला नैयर का उत्साही भ्रमण |
|
|
तिगडुडा |
283 |
|
सुशीला संकट में |
297 |
|
जीता जागता नरक |
309 |
भाग 8 |
प्यारी मनु |
|
|
नवाखली यज्ञ |
327 |
|
गांधी की नवाखली की विपदा |
345 |
|
अंतिम यात्रा |
361 |
|
व्यक्ति परिचय |
377 |
|
संदर्भ सूची |
391 |
|
सूची पत्र |
421 |
पुस्तक परिचय
गिरजा कुमार 1985 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के लाईब्रेरियन के पद से सेवानिवृत हुए। उनकी दुनिया हमेशा ही किताबों की दुनिया रही। "महात्मा गांधी और उनकी महितला मित्र" पूर्णत व्यापक शोध पर आधारित और गांधीजी महिला मित्रों तथा अन्य प्रमुख किरदारों के कथनोपकथनों पर आधारित है। इस लिहाज से यह पुस्तक जीवनी के भीतर जीवनी है।
यह पुस्तक 25006 में अंग्रेज़ी में प्रकाशित हुई थी। अनेक पत्रपत्रिकाओं और शोध विशेषज्ञों ने गिरजा कुमार के इस व्यास को बखूबी सराहा।
गांधी जी 32 वर्ष की आयु में ब्रह्मचर्य के पालन का संकल्प लिया था। उनके कामसुख से खुद को वंचित रखने की कोशिशों को लेखक गिरजा कुमार ने इस पुस्तक में खंगालने का प्रयास किया है। गांधीजी के जीवन बहुत करीब आने वाली अनेक महिलाओं ने उनके ब्रह्मचर्य यज्ञ में अपनी आहुति दी थी। इनमें प्रमुख नाम इस प्रकार हैं। मनु गांधी, सुशीला गांधी, सुधीला नैयर,मीराबेन, राजकुमारी, अमृत कौर, प्रभावती कंचन, शाह और कविवर ,रवीन्द्रनाथ टैगोर की भांजी सरलादेवी चौधरानी। उनमें से कुछ विदेशी महिलाएं भी थीं, जैसे मिली ग्राहम पोलक सोंजा श्लेसिन एस्थफेरिंग नीला क्रैम कुक एवं मार्गेट स्पीगेल।
महात्मा गांधी ब्रह्मचर्य के प्रयोग में शामिल महिलाओं को इस प्रयोग के सभी घटनाक्रमों का रिकॉर्ड रखने को कहा था। वह चाहते थे कि महिलाओं के साथ उनके इस गुप्त प्रयोग के बारे में सारी दुनिया जाने। लेकिन अफसोस, ऐसा प्रतीत होता है कि ब्रह्मचर्य के प्रयोगों से संबंधित ज्यादातर दस्तावेजों को नष्ट किया जा चुका है। साथ ही इस प्रयोग पर रोशनी डालने में समर्थ कुछ मुख्यकिरदारों ने गंभीर चुप्पी साध ली। इसके बावजूद गांधीजी तथा उनके निकटस्थों के बीच हुए पत्रव्यवहार से अनेक बातें सामने आई हैं।
यह पुस्तक एक महान पुरुष की मनोजीवनी होने के साथसाथ उनके और महिलाओं के बीच के संबंधों का अध्ययन भी है।
प्रस्तावना
एल्यानोर मॉर्टोन ने सन् 1954 में एक पुस्तक लिखी थी वीमेन बिहाइंड महात्मा गाधी और उसके बाद से इस विषय में कोई पुस्तक नहीं लिखी गयी । तमाम महिलाओं की निकटता गांधीजी के जीवन में एक आकर्षक अध्याय की तरह है खासकर तब जब हम उनके जीवन का अध्ययन ब्रह्मचर्य के दर्शन के साथ करते हैं । यह कृति एक व्यक्ति के पीछे के व्यक्ति और आत्मकथा के भीतर की आत्मकथा की तरह है ।
एक दर्जन से अधिक महिलाए ऐसी थीं, जो एक या अलगअलग समय मे महात्मा गाधी से निकटता के साथ जुडी हुई थीं । कस्तुरबा से संबंधित आख्यान गांधीजी के जीवन के एक अलग अध्याय की तरह है । लेकिन इन महिलाओं मे गांधीजी ने अपनी माता पुतलीबाई और सर्वज्ञ अर्द्धांगिनी कस्तूरबा का प्रतिरूप देखा । उनमें से छह महिलाएं विदेशी मूल की थीं और एक्? अनिवासी भारतीय । मिली ग्राहम पोलक, निला क्रैम कूक और मीरा बहन जैसी कुछ महिलाएँ उस समय की महिलाओं में बुद्धिजीवी कही जा सकती थीं । वे महिलाए महात्मा गाधी के लिए बेटी बहनें और माताएं थीं । हालाकि सरलादेवी चौधरानी अपवाद की तरह थी । गांधीजी उन्हें अपनी आध्यात्मिक पत्नी कहा करते थे ।
ब्रह्मचर्य, गांधी और उनकी सहयोगी महिलाएं बहुत ही आकर्षक विषय है । लेखक ने इस विषय पर आठ वर्ष रवे अधिक तक शोध किया है और उसके बाद इसे पुस्तक के रूप मे कलमबद्ध किया है । नवजीवन ट्रस्ट के सहयोग एरे भारत सरकार के सूचना एव प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तक कॉलेक्टेड वर्क्स इस सम्पूर्ण काल के लिए उनकी बाइबिल की तरह है, जिसे व्यापक तौर पर इसमें उद्धृत किया गया है ।
गांधीजी के बारे में पढना कभी भी उबाऊ नहीं रहा । वह हमेशा से ही अपूर्वानुमेय अपरम्परागत नवप्रवर्तनशील, दयालु और निष्कपट रहे । चेहरे पर भ्रान्तिकारी मुस्कान मौजूद होने के बावजूद वह शरारती थे । अपने सम्पूर्ण जीवन काल मे उन्हे अपने विचारों का कडू। प्रतिरोध सहना पड़ा था । उनका प्रतिरोध करने वालो मे से ज्यादा उनके करीबी दरबारी ही थे । गांधीजी ने एक्? बार श्रीमती पोलक को कहा था कि उनका (श्रीमती पोलक का) जन्म उनके एवं उनरने जुडी महिला सहयोगिनो के अनुप्रयोग के लिए ही हुआ है । गांधीजी अपनी ही पीड़ा से आंतरिक शांति हासिल करते रहे थे ।
रोमा रौलां ने उन्हें दूसरे ईसा मसीह की संज्ञा दी थी । ठीक ईसा मसीह की तरह ही गाँधीजी की सहनशीलता भी पीडा. मौत और मृतोत्थान का प्रतीक बन गयी । यह पुस्तक गाँधीजी के नजरिये से स्त्रीत्व के तमाम पहलुओ को प्रदर्शित करती है । गांधीजी वैसे इक्कादुक्का लोगों में शुमार है, जिन्होंने खुद को स्वनिर्मित हिजड़ा कहकर सेक्स की विभाजन रेखा समाप्त करने का दुस्साहस किया था ।
गाँधीजी महिलाओं की संगत में हमेशा राहत महसूस करते थे । सभी महिला सहयोगिनी ने उन्हें समान महत्त्व दिया । ब्रह्मचर्य महात्मा गाँधीजी और उनकी महिला मित्र पांच दशक तक गांधीजी और उन महिलाओं के बीच संवाद का विश्वसनीय दस्तावेज है, जो भारतीय सौंदर्य परम्परा में वर्णित सम्पूर्ण रसों से सराबोर थीं ।
विषय सूची |
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प्रस्तावना |
vii |
भाग 1 |
ब्रह्मचर्य सिद्धान्त और प्रयोग |
|
|
ब्रह्मचर्य का गुणगान |
3 |
|
भारतीय परम्परा में ब्रह्मचर्य |
11 |
|
व्यवहार में ब्रह्मचर्य |
31 |
भाग 2 |
साहस का पुंज |
|
|
बा |
49 |
|
बा, बापू और परिवार |
73 |
भाग 3 |
दक्षिण अफ्रीका विक्कंभ |
|
|
मिली और हेनरी पोलक |
93 |
|
डिक्टेटर सोंजा |
113 |
|
जेकी इकलौती दत्तक पुत्री |
131 |
भाग 4 |
प्रारंभिक वर्ष विदेशी सहयोगी |
|
|
एस्थर फेरिंग डेनिश मिशनरी |
151 |
|
प्रफुल्लित मीराबहन |
163 |
|
मुरझाती मीराबहन |
181 |
|
कुक और स्पीगल सिरफिरी जोड़ी |
197 |
भाग 5 |
प्रारंभिक वर्ष भारतीय संगीसाथी |
|
|
रूमानी सरला |
223 |
|
सरला देवी के सितारे गर्दिश में |
237 |
भाग 6 |
विवाहित ब्रह्मचर्य |
|
|
साध्वी प्रभावती |
253 |
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कंचन दुविधा शाह |
269 |
भाग 7 |
सुशीला नैयर का उत्साही भ्रमण |
|
|
तिगडुडा |
283 |
|
सुशीला संकट में |
297 |
|
जीता जागता नरक |
309 |
भाग 8 |
प्यारी मनु |
|
|
नवाखली यज्ञ |
327 |
|
गांधी की नवाखली की विपदा |
345 |
|
अंतिम यात्रा |
361 |
|
व्यक्ति परिचय |
377 |
|
संदर्भ सूची |
391 |
|
सूची पत्र |
421 |