पुस्तक परिचय
नरेश मेहता (जन्म 15 फ़रवरी 1922, निधन 22 नवंबर 2000) ने कविता और कथा के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई है, जो एक ओर प्रेमचंद और मुक्तिबोध से अलग है तो दूसरी ओर जैनेन्द्र और अज्ञेय से भी । उन्होंने न अनुकरण किया और न अनुकृत किए जा सके । वे अपनी परंपरा के प्रति आत्मविस्मृत आधुनिकों में नहीं, बल्कि उनमें से हैं, जो तमाम आयातित विचारों और प्रवृत्तियों के लिए खुले रहते हुए भी उनकी अधीनता स्वीकार नहीं करते । अपनी कविताओं और प्रबंध कविताओं के माध्यम से नरेश मेहता ने कुल मिलाकर एक महाभाव वाले प्रजातांत्रिक काव्य की सृष्टि की है, जिसका पद-पद विरल सौंदर्य, बिंबात्मकता, प्रतीकवत्ता, भाषा-सौष्ठव से भरा है । नरेश मेहता की कुल सोलह काव्यकृतियों में प्रमुख हैं - वनपाखी सुनो उत्सवा अरण्या आख़िर समुद्र से तात्पर्य देखना एक दिन (सभी कविता- संग्रह), संशय की एक रात: महाप्रस्थान प्रवाद पर्व शबरी (सभी खंडकाव्य) ।
नरेश मेहता ने कहानी, उपन्यास, नाटक, एकांकी, निबंध, यात्रावृत्त आदि विधाओं में भी क़लम चलाई । कुल आठ उपन्यासों और तीन कहानी-संग्रहों के रचयिता नरेश मेहता संघर्षपूर्ण यथार्थ के रचनाकार हैं । उनके उपन्यास यह पथबंधु था का प्रकाशन हिंदी के ' यथार्थोन्मुख अभियान में ' एक उल्लेखनीय पद चिह्न ' माना गया था उनका वृहद उपन्यास उत्तरकथा उनके दृष्टिकोण, संरचनात्मक कौशल और युग चेतना का सर्जनात्मक दस्तावेज़ है । उनकी अन्य प्रमुख कथा-कृतियाँ हैं- धूमकेतु. एक श्रुति नदी यशस्वी है (उपन्यास) और जलसाघर (कहानी-संग्रह) । कविता और कथा दोनों ही क्षेत्रों में अनेक शिखरों का स्पर्श करनेवाले नरेश मेहता को भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार (1992) सहित साहित्य अकादेमी पुरस्कार, मंगला प्रसाद पारितोषिक, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का भारत- भारती सम्मान, मध्य प्रदेश संस्कृति विभाग का शिखर सम्मान तथा अन्य अनेक पुरस्कारों और सम्मानों से समादृत किया गया ।
लेखक परिचय
प्रस्तुत विनिबंध के लेखक डॉ. प्रभाकर श्रोत्रिय हिंदी के लब्धप्रतिष्ठ और दृष्टिसंपन्न आलोचक, निबंधकार तथा नाटककार हैं । आपकी कोई डेढ़ दर्ज़न आलोचना पुस्तकें, परंपरा से अत्याधुनिक कविता तक की आलोचनात्मक यात्रा का महत्त्वपूर्ण साक्ष्य हैं । आपके निबंध आज के नव्यतम सोच के सभी पक्षों का प्रामाणिक विवेचन करते हैं । आपके नाटकों में इला अत्यंत प्रसिद्ध हुआ है । कविता की तीसरी आँख रचना एक यातना है मेघदूत : एक अंतर्यात्रा समय समाज साहित्य शमशेर बहादुर सिंह आदि आपकी उल्लेख्य कृतियाँ हैं ।
अनुक्रम |
||
1 |
जीवन-गाथा |
7 |
2 |
सृजन-यात्रा |
30 |
3 |
प्रतिभा का पहला स्फोट समय देवता |
54 |
4 |
काव्य-विमर्श |
62 |
5 |
काव्यभाषा काव्य शिल्प |
73 |
6 |
काव्य और गद्य अरण्या के बहाने एक जिरह |
89 |
7 |
गद्य-विमर्श |
99 |
8 |
नरेश मेहता का तात्पर्य |
110 |
परिशिष्ट :नरेश मेहता की प्रकाशित कृतियाँ |
129 |
|
नरेश मेहता को प्राप्त सम्मान-पुरस्कार |
132 |
पुस्तक परिचय
नरेश मेहता (जन्म 15 फ़रवरी 1922, निधन 22 नवंबर 2000) ने कविता और कथा के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई है, जो एक ओर प्रेमचंद और मुक्तिबोध से अलग है तो दूसरी ओर जैनेन्द्र और अज्ञेय से भी । उन्होंने न अनुकरण किया और न अनुकृत किए जा सके । वे अपनी परंपरा के प्रति आत्मविस्मृत आधुनिकों में नहीं, बल्कि उनमें से हैं, जो तमाम आयातित विचारों और प्रवृत्तियों के लिए खुले रहते हुए भी उनकी अधीनता स्वीकार नहीं करते । अपनी कविताओं और प्रबंध कविताओं के माध्यम से नरेश मेहता ने कुल मिलाकर एक महाभाव वाले प्रजातांत्रिक काव्य की सृष्टि की है, जिसका पद-पद विरल सौंदर्य, बिंबात्मकता, प्रतीकवत्ता, भाषा-सौष्ठव से भरा है । नरेश मेहता की कुल सोलह काव्यकृतियों में प्रमुख हैं - वनपाखी सुनो उत्सवा अरण्या आख़िर समुद्र से तात्पर्य देखना एक दिन (सभी कविता- संग्रह), संशय की एक रात: महाप्रस्थान प्रवाद पर्व शबरी (सभी खंडकाव्य) ।
नरेश मेहता ने कहानी, उपन्यास, नाटक, एकांकी, निबंध, यात्रावृत्त आदि विधाओं में भी क़लम चलाई । कुल आठ उपन्यासों और तीन कहानी-संग्रहों के रचयिता नरेश मेहता संघर्षपूर्ण यथार्थ के रचनाकार हैं । उनके उपन्यास यह पथबंधु था का प्रकाशन हिंदी के ' यथार्थोन्मुख अभियान में ' एक उल्लेखनीय पद चिह्न ' माना गया था उनका वृहद उपन्यास उत्तरकथा उनके दृष्टिकोण, संरचनात्मक कौशल और युग चेतना का सर्जनात्मक दस्तावेज़ है । उनकी अन्य प्रमुख कथा-कृतियाँ हैं- धूमकेतु. एक श्रुति नदी यशस्वी है (उपन्यास) और जलसाघर (कहानी-संग्रह) । कविता और कथा दोनों ही क्षेत्रों में अनेक शिखरों का स्पर्श करनेवाले नरेश मेहता को भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार (1992) सहित साहित्य अकादेमी पुरस्कार, मंगला प्रसाद पारितोषिक, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का भारत- भारती सम्मान, मध्य प्रदेश संस्कृति विभाग का शिखर सम्मान तथा अन्य अनेक पुरस्कारों और सम्मानों से समादृत किया गया ।
लेखक परिचय
प्रस्तुत विनिबंध के लेखक डॉ. प्रभाकर श्रोत्रिय हिंदी के लब्धप्रतिष्ठ और दृष्टिसंपन्न आलोचक, निबंधकार तथा नाटककार हैं । आपकी कोई डेढ़ दर्ज़न आलोचना पुस्तकें, परंपरा से अत्याधुनिक कविता तक की आलोचनात्मक यात्रा का महत्त्वपूर्ण साक्ष्य हैं । आपके निबंध आज के नव्यतम सोच के सभी पक्षों का प्रामाणिक विवेचन करते हैं । आपके नाटकों में इला अत्यंत प्रसिद्ध हुआ है । कविता की तीसरी आँख रचना एक यातना है मेघदूत : एक अंतर्यात्रा समय समाज साहित्य शमशेर बहादुर सिंह आदि आपकी उल्लेख्य कृतियाँ हैं ।
अनुक्रम |
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1 |
जीवन-गाथा |
7 |
2 |
सृजन-यात्रा |
30 |
3 |
प्रतिभा का पहला स्फोट समय देवता |
54 |
4 |
काव्य-विमर्श |
62 |
5 |
काव्यभाषा काव्य शिल्प |
73 |
6 |
काव्य और गद्य अरण्या के बहाने एक जिरह |
89 |
7 |
गद्य-विमर्श |
99 |
8 |
नरेश मेहता का तात्पर्य |
110 |
परिशिष्ट :नरेश मेहता की प्रकाशित कृतियाँ |
129 |
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नरेश मेहता को प्राप्त सम्मान-पुरस्कार |
132 |