लेखकीय
पेट में अनेक रोग होते हैं। रोग एक अवस्था है। शरीर में रोग व्यापक होते हुए भी उसके विशिष्ट लक्षण होते हैं। उन विशिष्ट लक्षणों को रोगी में पहचान कर वैसे ही विशिष्ट सदृश लक्षण वाली औषधि भैषजशास्त्र में से ढूँढना चिकित्सक का काम है । ऐसी सुनिर्वाचित औषधि से रोगियों को ठीक करके अनुभव के आधार पर जो सफलता मिली उन्हीं औषधियों का वर्णन इस पुस्तक में किया है। प्रस्तुत पुस्तक में पेट के अनेक रोगों की चिकित्सा का मार्ग प्रस्तुत किया गया है।
पाचनतंत्र के रोगियों की चिकित्सा में मुझे औषधियों के लक्षण ऐसे मिले जिनसे रोगी को शीघ्र लाभ मिल जाता है । होम्योपैथिक साहित्य का अध्ययन करने पर किसी-किसी पुस्तक में औषधियों के अनुभूत लक्षण इतने प्रभावशाली ढंग से मिल जाते हैं, जिनको प्राप्त कर चिकित्सा में बहुत सहायता, सफलता मिल जाती है । चिकित्सक रोग और औषधि के सदृश लक्षण ढूँढ निकालता है तो रोगी को शीघ्रता से लाभ होता है इस आधार पर मेरी यह मान्यता बन गई है कि होम्योपैथी एक सरल चिकित्सा है । इसकी औषधियाँ पेटेन्ट की तरह निश्चित फल देती हैं।
'रोगी की औषधियों से चिकित्सा व्यवस्था करने के बाद दूसरा स्थान आता है रोगी को भोजन में क्या-क्या खिलाया-पिलाया जाये? रोग से बचाव के लिये क्या किया जाये? इस विषय की सारगर्भित और औषध की तरह काम करने वाली भोजन की व्यवस्था इस सस्करण में और दी गई है।' इसी प्रकार का साहित्य प्रस्तुत करना मेरा लेखनोद्देश्य है । पाठक इसपुस्तक को पढकर इसे इसी विचारधारा से ओत-प्रोत पाएँगे। 'पाचनतंत्र रोगों की चिकित्सा (होम्योपैथिक एवं प्राकृतिक) ' का यह नवीन सस्करण और भी अधिक उपयोगी पाएँगे। यदि पाठक इस पुस्तक को और भी उपयोगी बनाने हेतु कमियाँ बताएँगे, सुझाव देंगे तो आगामी संस्करण में तदनुसार सशोधन-परिवर्द्धन किया जाएगा। इसके लेखन में जिन चिकित्सा ग्रथों की सहायता ली है, उनका उल्लेख जगह-जगह किया गया है । उनके लेखकों का मैं हृदय से आभारी हूँ । हिन्दी भाषा में 'पाचनतंत्र रोगों की चिकित्सा (होम्योपैथिक एवं प्राकृतिक)' पर यह प्रथम पुस्तक है । मेरा विश्वास है, हर व्यक्ति और चिकित्सक इससे लाभान्वित होगा।
अनुक्रमणिका |
||
1 |
अग्निमाद्य |
Dyspepsia |
2 |
अम्लपित्त |
Acidity |
3 |
अमृतधारा |
|
4 |
अमीबायसिस |
Amoebiasis |
5 |
अन्त्रवृद्धि |
Hernia |
6 |
आँतों का टॉनिक |
|
7 |
आँतों का दर्द |
Colic or Enteralgia |
8 |
आन्त्रशोथ (आँतों की सूजन) |
Gastro-enteritis |
9 |
उण्डुकपुच्छशोथ |
Appendicitis |
10 |
उल्टी |
Vomiting |
11 |
ॐ प्रभु की दया दृष्टि |
|
12 |
कब्ज़ |
Constipation |
13 |
कृमि |
Worms |
14 |
कैन्सर |
Cancer |
15 |
ग्रहणी व्रण |
Duodenal Ulcer |
16 |
गुदा-दार (फटना) |
Anal Fissure |
17 |
गुदा भ्रंश |
Prolapse of Rectum |
18 |
गैस |
Flatulence |
19 |
छाले |
Stomatitis |
20 |
जठरशोथ |
Gastritis |
21 |
जलोदर |
Ascities |
22 |
डकारें |
Eructations |
23 |
दस्त |
Diarrhoea |
24 |
दालचीनी |
Cinnamon |
25 |
नाभि चिकित्सा |
Umbilical Treatment |
26 |
पथरी |
Calculus |
27 |
पर्युदर्याशोथ |
Peritonitis |
28 |
परिणाम व्रण |
Peptic Ulcer |
29 |
पाकशयिक व्रण |
Gastric Ulcer |
30 |
पाचन अंगों का कैंसर |
Cancer of Digestive Organs |
31 |
पाचन सम्बन्धी रोग |
Irritable Bowel Syndrome |
32 |
पायोरिया |
Pyorrhoea |
33 |
पित्त-पथरी |
Gall Stone |
34 |
पीलिया |
Jaundice |
35 |
प्रतिषेधक |
Prevention |
36 |
पुर:स्थशोथ |
Prostatitis |
37 |
पेचिश |
Dysentery |
38 |
पेट-दर्द |
Pain Abdomen |
39 |
पेट के रोगों में भोजन |
Diet in Abdomen Diseases |
40 |
बृहदांत्र-मलाशय कैंसर |
Colon Rectum Cancer |
41 |
बृहदान्त्रशोध |
Colitis |
42 |
बवासीर, अर्श |
Piles, Haemorrhoids |
43 |
भगन्दर, नासूर, नाड़ी-व्रण |
Fistula |
44 |
भूख |
Appetite |
45 |
भोज्य विषाक्तता |
Food Poisoning |
46 |
मलद्वार में खुजली |
Itching in Anus |
47 |
मिश्रण चिकित्सा |
Mixture Treatment |
48 |
मुँह में पानी आना |
Water-Brash |
49 |
यकृत |
Liver |
50 |
यकृत प्रदाह |
Hepatitis |
51 |
यकृत में फोड़ा |
Liver Abscess |
52 |
यकृत का सूत्रण रोग |
Cirrhosis of the Liver |
53 |
योग से भागे रोग |
|
54 |
लार टपकना |
Drooling |
55 |
श्वास की दुर्गंध |
Halitosis: Fetied Breath |
56 |
स्मरणीय लक्षण |
Rememberable Symptoms |
57 |
स्वाद |
Taste |
58 |
संक्रामक यकृत प्रदाह |
Infective Hepatitis |
59 |
सात्विक भोजन |
Virtuous Food |
60 |
हिचकी |
Hiccough |
लेखकीय
पेट में अनेक रोग होते हैं। रोग एक अवस्था है। शरीर में रोग व्यापक होते हुए भी उसके विशिष्ट लक्षण होते हैं। उन विशिष्ट लक्षणों को रोगी में पहचान कर वैसे ही विशिष्ट सदृश लक्षण वाली औषधि भैषजशास्त्र में से ढूँढना चिकित्सक का काम है । ऐसी सुनिर्वाचित औषधि से रोगियों को ठीक करके अनुभव के आधार पर जो सफलता मिली उन्हीं औषधियों का वर्णन इस पुस्तक में किया है। प्रस्तुत पुस्तक में पेट के अनेक रोगों की चिकित्सा का मार्ग प्रस्तुत किया गया है।
पाचनतंत्र के रोगियों की चिकित्सा में मुझे औषधियों के लक्षण ऐसे मिले जिनसे रोगी को शीघ्र लाभ मिल जाता है । होम्योपैथिक साहित्य का अध्ययन करने पर किसी-किसी पुस्तक में औषधियों के अनुभूत लक्षण इतने प्रभावशाली ढंग से मिल जाते हैं, जिनको प्राप्त कर चिकित्सा में बहुत सहायता, सफलता मिल जाती है । चिकित्सक रोग और औषधि के सदृश लक्षण ढूँढ निकालता है तो रोगी को शीघ्रता से लाभ होता है इस आधार पर मेरी यह मान्यता बन गई है कि होम्योपैथी एक सरल चिकित्सा है । इसकी औषधियाँ पेटेन्ट की तरह निश्चित फल देती हैं।
'रोगी की औषधियों से चिकित्सा व्यवस्था करने के बाद दूसरा स्थान आता है रोगी को भोजन में क्या-क्या खिलाया-पिलाया जाये? रोग से बचाव के लिये क्या किया जाये? इस विषय की सारगर्भित और औषध की तरह काम करने वाली भोजन की व्यवस्था इस सस्करण में और दी गई है।' इसी प्रकार का साहित्य प्रस्तुत करना मेरा लेखनोद्देश्य है । पाठक इसपुस्तक को पढकर इसे इसी विचारधारा से ओत-प्रोत पाएँगे। 'पाचनतंत्र रोगों की चिकित्सा (होम्योपैथिक एवं प्राकृतिक) ' का यह नवीन सस्करण और भी अधिक उपयोगी पाएँगे। यदि पाठक इस पुस्तक को और भी उपयोगी बनाने हेतु कमियाँ बताएँगे, सुझाव देंगे तो आगामी संस्करण में तदनुसार सशोधन-परिवर्द्धन किया जाएगा। इसके लेखन में जिन चिकित्सा ग्रथों की सहायता ली है, उनका उल्लेख जगह-जगह किया गया है । उनके लेखकों का मैं हृदय से आभारी हूँ । हिन्दी भाषा में 'पाचनतंत्र रोगों की चिकित्सा (होम्योपैथिक एवं प्राकृतिक)' पर यह प्रथम पुस्तक है । मेरा विश्वास है, हर व्यक्ति और चिकित्सक इससे लाभान्वित होगा।
अनुक्रमणिका |
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1 |
अग्निमाद्य |
Dyspepsia |
2 |
अम्लपित्त |
Acidity |
3 |
अमृतधारा |
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4 |
अमीबायसिस |
Amoebiasis |
5 |
अन्त्रवृद्धि |
Hernia |
6 |
आँतों का टॉनिक |
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7 |
आँतों का दर्द |
Colic or Enteralgia |
8 |
आन्त्रशोथ (आँतों की सूजन) |
Gastro-enteritis |
9 |
उण्डुकपुच्छशोथ |
Appendicitis |
10 |
उल्टी |
Vomiting |
11 |
ॐ प्रभु की दया दृष्टि |
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12 |
कब्ज़ |
Constipation |
13 |
कृमि |
Worms |
14 |
कैन्सर |
Cancer |
15 |
ग्रहणी व्रण |
Duodenal Ulcer |
16 |
गुदा-दार (फटना) |
Anal Fissure |
17 |
गुदा भ्रंश |
Prolapse of Rectum |
18 |
गैस |
Flatulence |
19 |
छाले |
Stomatitis |
20 |
जठरशोथ |
Gastritis |
21 |
जलोदर |
Ascities |
22 |
डकारें |
Eructations |
23 |
दस्त |
Diarrhoea |
24 |
दालचीनी |
Cinnamon |
25 |
नाभि चिकित्सा |
Umbilical Treatment |
26 |
पथरी |
Calculus |
27 |
पर्युदर्याशोथ |
Peritonitis |
28 |
परिणाम व्रण |
Peptic Ulcer |
29 |
पाकशयिक व्रण |
Gastric Ulcer |
30 |
पाचन अंगों का कैंसर |
Cancer of Digestive Organs |
31 |
पाचन सम्बन्धी रोग |
Irritable Bowel Syndrome |
32 |
पायोरिया |
Pyorrhoea |
33 |
पित्त-पथरी |
Gall Stone |
34 |
पीलिया |
Jaundice |
35 |
प्रतिषेधक |
Prevention |
36 |
पुर:स्थशोथ |
Prostatitis |
37 |
पेचिश |
Dysentery |
38 |
पेट-दर्द |
Pain Abdomen |
39 |
पेट के रोगों में भोजन |
Diet in Abdomen Diseases |
40 |
बृहदांत्र-मलाशय कैंसर |
Colon Rectum Cancer |
41 |
बृहदान्त्रशोध |
Colitis |
42 |
बवासीर, अर्श |
Piles, Haemorrhoids |
43 |
भगन्दर, नासूर, नाड़ी-व्रण |
Fistula |
44 |
भूख |
Appetite |
45 |
भोज्य विषाक्तता |
Food Poisoning |
46 |
मलद्वार में खुजली |
Itching in Anus |
47 |
मिश्रण चिकित्सा |
Mixture Treatment |
48 |
मुँह में पानी आना |
Water-Brash |
49 |
यकृत |
Liver |
50 |
यकृत प्रदाह |
Hepatitis |
51 |
यकृत में फोड़ा |
Liver Abscess |
52 |
यकृत का सूत्रण रोग |
Cirrhosis of the Liver |
53 |
योग से भागे रोग |
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54 |
लार टपकना |
Drooling |
55 |
श्वास की दुर्गंध |
Halitosis: Fetied Breath |
56 |
स्मरणीय लक्षण |
Rememberable Symptoms |
57 |
स्वाद |
Taste |
58 |
संक्रामक यकृत प्रदाह |
Infective Hepatitis |
59 |
सात्विक भोजन |
Virtuous Food |
60 |
हिचकी |
Hiccough |