पुस्तके के विषय में
निर्मल वर्मा (1929-2005) हिन्दी के शीर्षस्थ कथाकारों में से एक हैं 1959 मे उनके प्रथम कहानी संग्रह परिन्दे के प्रकाशन के बाद आलोचकों ने उनकी प्रंशसा करते हुए उन्हें हिन्दी में नई कहानी आंदोलन का अग्रदूत बताया विभिन्न कहानी संग्रहों और उपन्यासों के अलावा तीन यात्रा वृत्तांत, छह निबंध संग्रह एक नाटक और विश्व साहित्य की नौ महत्वपूर्ण कृतियों के हिन्दी अनुवाद उनकी प्रकाशित कृतियों में शामिल हैं। उनकी रचनाओं के अनुवाद प्रमुख भारतीय भाषाओ सहित अनेक विदेशी भाषाओं में प्रकाशित हैं ।
निर्मल वर्मा उन आधुनिक रचनाकारों में से थ, जिन्होंने भारतीय सभ्यता के आंतरिक संकटों, पश्चिम से उसके संवाद और मुठभेड तथा भारतीय आधुनिकता के विकास आदि मुद्दों पर गंभीरता से विचार किया चिन्तनपरक गद्य के अलावा निर्मल ने अपन यात्रा संस्मरणों, समालोचना एवं डायरियों में अपने समय का अत्यत सक्षमता से उजागर किया वे गद्य की इन विधाओ में लिखने हुए मानो उन्हें पुन आविष्कृत करते रहे उन्होंने अपनी कहानियों में उस जीवन की सच्चाई को पाया, जो संसार में होते हुए भी सांसारिक नहीं है यथार्थ मे होते हुए भी उन मानको से बाहर है, जिनमें यथार्थ को परिभाषित, संस्थापित किया जाता है। उनके यहाँ भाषा मनुष्य ओर मानवीय चरित्रों में ढ़ली हुई है।
देशविदेश की अनेक साहित्यिक सांस्कृतिक यात्राएँ करने वाले निर्मल वर्मा को साहित्य अकादेमी पुरस्कार साधना सम्मान, उत्तर प्रदेश हिन्दी सस्थान के राम मनोहर लोहिया अति विशिष्ट सम्मान भारतीय ज्ञानपीठ के मूर्तिदेवी पुरस्कार एवं भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार सहित अनेक पुरस्कार सम्मान प्राप्त हैं। उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा 'पद्यभूषण' अलंकरण और साहित्य अकादेमी के सर्वोच्च सम्मान महत्तर सदस्यता से विभूषित किया गया था।
लेखक परिचय
प्रस्तुत विनिबंध के लेखक डॉ. कृष्णादत्त पालीवाल ( जन्म 1943) हिन्दी के प्रातष्ठित आलोचक और दिल्ली विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त हिन्दी प्रोफेसर हैं आपकी प्रकाशित कृतियों में हिन्दी आलोचना का सैद्धातिक आधार भारतीय नई कविता सृजन की नई भूमिका, उत्तर आधुनिकता की ओर तथा विभिन्न शीर्षस्थ लेखका पर केन्द्रित अनेक पुस्तके शामिल हैं।
अनुक्रम |
||
1 |
रचनाकार की मनोभूमिका |
7 |
2 |
उत्तर-औपनिवेशिक विमर्श का व्योम |
18 |
3 |
निबंध विचार की उपजाऊ भूमि |
22 |
4 |
नयी कहानी की अंतर्यात्रा |
29 |
5 |
उपन्यास, नर-नारी संबंधों का भाष्य |
37 |
6 |
यात्रा-वृत्तांत चीड़ों पर चाँदनी और हर बारिश में |
57 |
7 |
भाई रामकुमार और निर्मल वर्मा के पत्र : यात्रा की स्मृति |
65 |
8 |
तीन एकांत : नाट्य मंचन में कहानियों का टेक्स्ट |
71 |
9 |
शिव के नीलकंठ की तरह है निर्मल वर्मा की डायरी |
75 |
10 |
निर्मल वर्मा का अनुवाद-कार्य |
100 |
परिशिष्ट |
||
क.निर्मल वर्मा. संक्षिप्त परिचय |
107 |
|
ख. आधार-ग्रंथ |
108 |
|
ग. सहायक ग्रंथ |
110 |
|
घ. पत्र-पत्रिकाएँ |
111 |
पुस्तके के विषय में
निर्मल वर्मा (1929-2005) हिन्दी के शीर्षस्थ कथाकारों में से एक हैं 1959 मे उनके प्रथम कहानी संग्रह परिन्दे के प्रकाशन के बाद आलोचकों ने उनकी प्रंशसा करते हुए उन्हें हिन्दी में नई कहानी आंदोलन का अग्रदूत बताया विभिन्न कहानी संग्रहों और उपन्यासों के अलावा तीन यात्रा वृत्तांत, छह निबंध संग्रह एक नाटक और विश्व साहित्य की नौ महत्वपूर्ण कृतियों के हिन्दी अनुवाद उनकी प्रकाशित कृतियों में शामिल हैं। उनकी रचनाओं के अनुवाद प्रमुख भारतीय भाषाओ सहित अनेक विदेशी भाषाओं में प्रकाशित हैं ।
निर्मल वर्मा उन आधुनिक रचनाकारों में से थ, जिन्होंने भारतीय सभ्यता के आंतरिक संकटों, पश्चिम से उसके संवाद और मुठभेड तथा भारतीय आधुनिकता के विकास आदि मुद्दों पर गंभीरता से विचार किया चिन्तनपरक गद्य के अलावा निर्मल ने अपन यात्रा संस्मरणों, समालोचना एवं डायरियों में अपने समय का अत्यत सक्षमता से उजागर किया वे गद्य की इन विधाओ में लिखने हुए मानो उन्हें पुन आविष्कृत करते रहे उन्होंने अपनी कहानियों में उस जीवन की सच्चाई को पाया, जो संसार में होते हुए भी सांसारिक नहीं है यथार्थ मे होते हुए भी उन मानको से बाहर है, जिनमें यथार्थ को परिभाषित, संस्थापित किया जाता है। उनके यहाँ भाषा मनुष्य ओर मानवीय चरित्रों में ढ़ली हुई है।
देशविदेश की अनेक साहित्यिक सांस्कृतिक यात्राएँ करने वाले निर्मल वर्मा को साहित्य अकादेमी पुरस्कार साधना सम्मान, उत्तर प्रदेश हिन्दी सस्थान के राम मनोहर लोहिया अति विशिष्ट सम्मान भारतीय ज्ञानपीठ के मूर्तिदेवी पुरस्कार एवं भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार सहित अनेक पुरस्कार सम्मान प्राप्त हैं। उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा 'पद्यभूषण' अलंकरण और साहित्य अकादेमी के सर्वोच्च सम्मान महत्तर सदस्यता से विभूषित किया गया था।
लेखक परिचय
प्रस्तुत विनिबंध के लेखक डॉ. कृष्णादत्त पालीवाल ( जन्म 1943) हिन्दी के प्रातष्ठित आलोचक और दिल्ली विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त हिन्दी प्रोफेसर हैं आपकी प्रकाशित कृतियों में हिन्दी आलोचना का सैद्धातिक आधार भारतीय नई कविता सृजन की नई भूमिका, उत्तर आधुनिकता की ओर तथा विभिन्न शीर्षस्थ लेखका पर केन्द्रित अनेक पुस्तके शामिल हैं।
अनुक्रम |
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1 |
रचनाकार की मनोभूमिका |
7 |
2 |
उत्तर-औपनिवेशिक विमर्श का व्योम |
18 |
3 |
निबंध विचार की उपजाऊ भूमि |
22 |
4 |
नयी कहानी की अंतर्यात्रा |
29 |
5 |
उपन्यास, नर-नारी संबंधों का भाष्य |
37 |
6 |
यात्रा-वृत्तांत चीड़ों पर चाँदनी और हर बारिश में |
57 |
7 |
भाई रामकुमार और निर्मल वर्मा के पत्र : यात्रा की स्मृति |
65 |
8 |
तीन एकांत : नाट्य मंचन में कहानियों का टेक्स्ट |
71 |
9 |
शिव के नीलकंठ की तरह है निर्मल वर्मा की डायरी |
75 |
10 |
निर्मल वर्मा का अनुवाद-कार्य |
100 |
परिशिष्ट |
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क.निर्मल वर्मा. संक्षिप्त परिचय |
107 |
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ख. आधार-ग्रंथ |
108 |
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ग. सहायक ग्रंथ |
110 |
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घ. पत्र-पत्रिकाएँ |
111 |